शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत-बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक तनाव
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक चर्चा एक नया मोड़ ले रही है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि जब राजनीतिक रूप से सही समय होगा, तब भारत को हसीना के प्रत्यर्पण के लिए एक आधिकारिक स्मरण पत्र भेजा जाएगा।
भारत को प्रत्यर्पण अनुरोध की याद दिलाने की तैयारी
बांग्लादेश ने दिसंबर में ही शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ अनुरोध भेजा था, लेकिन अब तक भारत की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। यह मामला दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि हसीना पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें हत्या और जुलाई में हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार जैसे अपराध शामिल हैं।
भारत में शरण, बांग्लादेश में बढ़ते आरोप
जुलाई में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक अशांति के बाद शेख हसीना पर 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में विद्रोह के दौरान हिंसा भड़काने और सत्ताविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप शामिल हैं। अगस्त में, वे भारत चली गईं, और तब से उनका कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। बांग्लादेश सरकार अब उनकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाने की योजना बना रही है।
भारत की चुप्पी और संभावित रणनीति
भारत की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया न आने से यह स्पष्ट नहीं है कि भारत सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर क्या रुख अपनाएगी। क्या भारत उन्हें राजनीतिक शरण देगा, या बांग्लादेश के अनुरोध को स्वीकार करेगा? यह सवाल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
आगे की राह
बांग्लादेश सरकार का यह फैसला कि वे "राजनीतिक रूप से सही समय" पर भारत को स्मरण पत्र भेजेंगे, यह संकेत देता है कि मामला अभी भी संवेदनशील है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस पर क्या निर्णय लेता है और इससे भारत-बांग्लादेश संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्या यह मामला दोनों देशों के बीच एक नया तनाव पैदा करेगा, या कूटनीतिक वार्ता के जरिए इसका समाधान निकलेगा? आने वाले समय में यह स्पष्ट हो जाएगा।

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